Karnataka News:
बेंगलुरु: Karnataka News- हमारा भारत एक बड़ा ही प्रयोगवादी देश है। जितने प्रयोगवादी लोग हमारे भारत में रहते हैं शायद इतने तो पूरी दुनिया के देशों के मिलाकर भी भी न हो। क्योंकि यहाँ के लोग तकनीकी तौर पर इतने क़ाबिल होते हैं कि अगर कोई विदेशी मशीन बिगड़ जाये और उसके पुर्ज़े न मिल पाये तो वो कुछ न कुछ “जुगाड़” कर ही देते हैं। अभी तक तो हमारे देश में यह “जुगाड़” सिर्फ़ मशीनों, कुछ सीमित सामाजिक सेवाओं तक ही सीमित था। लेकिन अब यह “जुगाड़” चिकित्सा सेवा में भी शुरु हो गया है।
(Karnataka News)
यह बात हम इसलिये कह रह रहे हैं कि हाल ही में कर्नाटक से एक बेहद ही चौकाने वाली ख़बर सामने आयी है, जिसमें बताया जा रहा है कि कर्नाटक के हावेरी जनपद के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की नर्स ने कथित तौर पर एक बच्चे के चेहरे पर लगे चोट के गहरे घाव पर टाँके लगाने के बजाये घाव के गैप को बन्द करने सुपरग्लू यानी फेवीक्विक से ही चिपका दिया। (Karnataka News)
शायद दुनिया में यह भी ऐसा पहला ही हो जब डॉक्टरों ने घाव पर टाँके लगाने की बजाये फेवीक्विक लगा दिया हो? मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार, यह घटना 14 जनवरी का कर्नाटक के जनपद हावेरी के हनागल तालुका के आदुरू प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में हुई। यहाँ एक नर्स ने ऐसा ही कार्य किया निश्चित रूप से नर्स का बड़ा ही अव्यवहारिक और चिकित्सीय कारनामा था। (Karnataka News)
ग़ैर ज़िम्मेदार नर्स की इस हरकत के प्रति मरीज बच्चे के परिजनों व स्थानीय निवासियों में काफ़ी ग़ुस्सा देखा गया। परिजनों ने तत्काल चिकित्सा विभाग को ऐसी ग़ैर ज़िम्मेदार नर्स के विरुद्ध बर्ख़ास्तगी की कार्यवाही किये जाने की माँग की थी, लेकिन बताया जा रहा है कि नर्स को बर्ख़ास्त करने की बजाये चिकित्सा विभाग ने इस नर्स के विरुद्ध एक्शन लेते हुए मात्र ट्रांसफर करने की कार्यवाही की।
मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार, ड्यूटी पर मौजूद नर्स ज्योति ने पीड़ित, गुरुकिशन अन्नाप्पा होसामनी नामक सात वर्षीय लड़के का इलाज किया, और मानक चिकित्सा प्रोटोकॉल का पालन करने के बजाय, यह दावा करते हुए कि यह बच्चे के चेहरे पर निशान को रोक देगा, उस पर फेविक्विक नामक चिपकने वाला पदार्थ लगाया। (Karnataka News)
खेलते समय लड़के के गाल पर चोट लग गई थी और उसके परिवार ने उसे आदुरू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। इस व्यवहार से स्तब्ध माता-पिता ने इसका वीडियो बना लिया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य सुरक्षा समिति के समक्ष औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।
जब परिवार ने नर्स ज्योति से इस बारे में पूछा तो उसने अपने काम का बचाव करते हुए कहा, “मैंने अपनी जानकारी के अनुसार बच्चे का इलाज किया। अगर बच्चे के परिवार वालों ने फेविक्विक (superglue) पर आपत्ति जतायी होती तो मैं इस मामले को कहीं और भेज देती, लेकिन परिवार वालों ने तब कोई आपत्ति जतायी।” (Karnataka News)
ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी राजेश सुरगीहल्ली ने घटना की जाँच शुरू कर दी है। हालांकि ज़िला स्वास्थ अधिकारी ने ज्योति नाम की इस नर्स को हावेरी तालुका के गुट्टल स्वास्थ्य केन्द्र में स्थानान्तरित करने का आदेश दिया, लेकिन बच्चे के परिजनों का कहना है कि उनके द्वारा नर्स की बर्ख़ास्तगी की माँग को स्वास्थ्य विभाग ने नज़रंदाज़ किया। वे विभाग के इस क़दम से संतुष्ट नहीं हैं।
स्रोत: Lokmat
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