Bhilwara News: मुस्लिम व्यक्ति ने बेटे की तरह किया हिन्दू महिला का अन्तिम संस्कार, बोला फ़िर से खो दिया मैंने अपनी माँ को.., आपको भी भावुक कर देगी ये ख़बर
भीलवाड़ा: Bhilwara News- एक अच्छी और दिल को छू जाने वाली ख़बर राजस्थान के भीलवाड़ा जनपद से, जहाँ आज के भारत में धूमिल होती जा रहे साम्प्रदायिक सौहार्द की एक अच्छी मिसाल देखने को मिली। दरअसल यहाँ एक मुस्लिम व्यक्ति ने एक हिन्दू महिला का अन्तिम संस्कार बेटे की तरह हिन्दू धर्म के अनुसार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार, यह मामला राजस्थान के भीलवाड़ा शहर के गाँधीनगर के जंगी चौक का है।

यहाँ 67 वर्षीय हिन्दू महिला शान्ति देवी का रविवार को निधन हो गया था। यह वृद्धा बिल्कुल अकेली थी, इसका परिवार में कोई निकट सम्बन्धी नहीं था। तो उसका अन्तिम संस्कार कराया 30 वर्षीय मुस्लिम युवक असग़र अली ने। असग़र अली ने बिल्कुल एक बेटे की तरह इस हिन्दू महिला का हिन्दू रीति रिवाज़ के साथ अन्तिम कराया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, शान्ति देवी नाम की यह वृद्ध महिला वर्ष-2018 में अपनी 3 बेटियों व 1 बेटे की मृत्यु के बाद बिल्कुल तन्हा रह गयी थी। (Bhilwara News)
बताया जा रहा है कि कुछ समय से यह महिला अस्वस्थ चल रही थी, और इसका इलाज महात्मा गाँधी हॉस्पिटल में चल रहा था। लेकिन रविवार को इसका देहान्त हो गया। क्योंकि उसके निकट परिवार में तो कोई नहीं था। ऐसे में 30 वर्षीय असग़र अली और उसके मोहल्ले के कुछ लोग इस महिला के अन्तिम संस्कार के लिये आगे आये। बताया जा रहा है कि जब से बच्चों के मरने के बाद यह महिला अकेली हो गयी थी तभी से असग़र अली इसे अपनी माँ की तरह ही प्यार करता आ रहा था। (Bhilwara News)
वृद्धा की मौत होने पर आँसू भरी आँखों से असग़र ने कहा कि “बचपन से ही वह मुझे माँ का प्यार देती आ रही थी। मुझे हर दिन पूछती रहती थी कि तूने ख़ाना ख़ाया या नहीं, या तू कैसा है? ठीक तो है? असग़र अली का कहना है कि “उनके निधन होने पर मुझे अब ऐसा लग रहा है कि जैसे मैंने अपनी माँ को फ़िर से खो दिया हो।..” असग़र अली का कहना है कि उसके माँ बाप तो बहुत पहले ही गुज़र गये थे, उसके बाद शान्ति देवी ने उसकी माँ की कमी को पूरा किया। (Bhilwara News)
असग़र अली बताते हैं कि जब कोरोना काल में भी वह (शान्ति देवी) बीमार पड़ गयी थी तो उन्होंने उसके इलाज का पूरा ध्यान रखा और वह स्वस्थ हो गयी थी। अब फ़िर वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थी, लेकिन रविवार को उनका निधन हो गया। अब उन्हें लग रहा है कि जैसे उन्होंने एक बार फ़ीर अपनी माँ खो दिया हो।” बता दें कि असग़र अली ने अपने कुछ पड़ोसियों और दोस्तों अशफ़ाक़ क़ुरैशी, आबिद क़ुरैशी, शाकिर पठान, फ़िरोज़ क़ुरैशी, इनायत और आबिद आदि के सहयोग से हिन्दू वृद्ध महिला का हिन्दू रीति रिवाज़ से अन्तिम संस्कार किया है।
इस वृद्ध हिन्दू महिला की अन्तिम यात्रा में बहुत सी स्थानीय मुस्लिम महिलायें भी रोती हुई नज़र आयी। क्यूँकि शान्ति देवी एक लम्बे समय से इसी मोहल्ले में परिवारों के सदस्य के रूप में रहती आ रही थी। शान्ति देवी के बच्चे तो इस दुनिया में नहीं रहे थे, इसलिये वह अपने परिवार में अकेली रह गयी थी, लेकिन असग़र अली और मोहल्ले वालों ने उसे कभी तन्हाई जैसा अहसास नहीं होने दिया। (Bhilwara News)
हालांकि वृद्धा के अन्तिम संस्कार के बाद उसके कुछ दूर के रिश्तेदार मध्य प्रदेश से यहाँ ज़रूर पहुँचे।असग़र अली का कहना है कि “उनकी (शान्ति देवी की) अस्थियां उनकी इच्छा के अनुसार ही त्रिवेणी संगम अथवा मातृकुंडिया में विसर्जित की जायेंगी।”
Source: jansatta
