Supreme Court Decision: शव के साथ यौन सम्बन्ध बना लेना कोई अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court Decision:
नई दिल्ली: Supreme Court Decision- यह पढ़ने में अजीब ज़रूर लग रहा होगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के बाद शव के साथ यौन सम्बन्ध बनाने के एक मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को बरक़रार रखते हुए शव के साथ यौन सम्बन्ध बनाने को सही ठहराया है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को ऐसे ही रेप के एक मामले से बरी कर दिया था, लेकिन हत्या की सज़ा को क़ायम रखा। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “भारतीय IPC भारतीय दण्ड संहिता में नेक्रोफ़िलिया अर्थात शव के साथ कामुकता को अपराध नहीं माना जाता।
मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया व जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवायी कर रही थी। इस केस में कर्नाटक सरकार की तरफ़ से अडिशनल एडवोकेट जनरल अमन पँवार ने यह तर्क दिया कि IPC की धारा 375(C) में शरीर शब्द को मृत शरीर भी शामिल माना जाना चाहिये। (Supreme Court Decision)
उन्होंने यह भी कहा कि रेप की परिभाषा के अंतर्गत प्रावधान में कहा गया है कि “अगर कोई महिला सहमति नहीं दे सकती है, तो इसे बलात्कार माना जायेगा। इसी तर्क के आधार पर मृत शरीर भी सहमति नहीं दे सकता है। इसलिये यह अपराध बलात्कार की श्रेणी में आना चाहिये, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि नेक्रोफिलिया IPC (भारतीय दंड संहिता) के तहत कोई अपराध नहीं है। वह कर्नाटक हाई कोर्ट के इस आदेश में किसी प्रकार से हस्तक्षेप करने जा इच्छुक नहीं है। (Supreme Court Decision)
विदित हो कि हमारे देश में हॉस्पिटल्स और मुर्दाघरों में महिलाओं अथवा युवतियों के शवों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने की कई घटनायें सामने आ चुकी हैं, हमारे भारत देश में ऐसे दुर्लभ मामलों के लिये कोई विशेष क़ानून है ही नहीं। नेक्रोफ़िलिया एक मनो यौन विकार है। इसलिये यह सही समय है कि केन्द्र सरकार मृत व्यक्ति, विशेषकर महिलाओं की गरिमा बनाये रखने के लिये IPC की धारा-377 में संशोधन करे और नेक्रोफ़िलिया को यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका की तरह अपराध घोषित करे। (Supreme Court Decision)
ऐसे मामले IPC (भारतीय दण्ड संहिता) में संशोधन की आवश्यकता को उजागर करते है, जिससे कि मृत व्यक्तियों अथवा महिलाओं की गरिमा और अधिकारों की रक्षा की जा सके। क्योंकि IPC के प्रावधानों के अनुसार ही कर्नाटक हाईकोर्ट ने मृत शरीर के साथ यौन सम्बन्ध बनाने को बलात्कार नहीं माना है। क्योंकि IPC की धारा-375 व 377 की धारायें मात्र जीवित मनुष्यों पर ही लागू होती है। इन IPC की धाराओं के गहरायी से अध्ययन करने पर स्पष्ट होता है कि भारतीय दण्ड सहिंता मृत शरीर को व्यक्ति अथवा मानव नहीं माना गया है। (Supreme Court Decision)
कर्नाटक हाईकोर्ट के साथ साथ अब सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्वीकार कर लिया है कि देश के मौजूदा क़ानून के तहत नेक्रोफिलिया अर्थात मृत शरीर के साथ यौन सम्बन्ध बनाना अपराध नहीं है। जबकि यह एक गम्भीर समस्या है, इसलिये संसद को इसे अपराध घोषित करने के लिये जल्द क़ानून बनाना चाहिये।
स्रोत: Dainik Bhaskar
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